तमिलनाडु: पुलिस ने मद्रास हाई कोर्ट को बताया कि ईशा फाउंडेशन से छह लोग अचानक लापता हो गए हैं। ईशा फाउंडेशन जिसकी स्थापना साल 2016 में कोयंबटूर में जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव, जिन्हें सद्गुरु (Sadhguru) के नाम से भी जाना जाता है, ने की थी।
इसके चलते Justice एमएस रमेश और Justice सुंदर मोहन की पीठ के समक्ष मौखिक रूप अलग-अलग से दलीलें दी गईं। अदालत ने पुलिस को ‘थिरुमलाई’ द्वारा अपने भाई गणेशन को पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद 8 अप्रैल तक जांच पर एक स्थिर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर पिछले साल मार्च में ‘ईशा फाउंडेशन’ से लापता हो गया था।
‘थिरुमलाई’ के अनुसार, उनका भाई, 46 वर्षीय ‘गणेशन’, ईशा फाउंडेशन (जहां वह काम करता था) में दो दिनों तक ड्यूटी पर नहीं आने के बाद लापता हो गया।
अपने भाई से संपर्क न हो पाने के बाद तिरुमलाई ने शिकायत की और अदालत का रुख किया। कोयंबटूर के पास 1992 में स्थापित एक गैर-लाभकारी आध्यात्मिक संगठन, ‘ईशा फाउंडेशन’ ने छह लापता व्यक्तियों के आरोपों का खंडन किया, दावों को पूरी तरह से ‘झूठा और निराधार’ करार दिया।
इन घटनाओं पर पुलिस का कहना है की गुमशुदगी के मामलों की जांचें चल रही है।
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एक किसान थिरुमलाई ने अपने भाई के गायब होने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया और मामले को संभालने में पुलिस के सुस्त व्यवहार का आरोप लगाया। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका यह निर्धारित करने के लिए जांच के लिए एक कानूनी आदेश है कि क्या किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से कैद किया गया है।
ईशा फाउंडेशन “मिट्टी बचाओ” और “नदियों के लिए रैली” जैसे अभियान शुरू करके पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में लगा हुआ है।
ईशा फाउंडेशन का मुख्यालय कोयंबटूर से लगभग 40 KM दूर नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व से सटे वेल्लियांगिरी पर्वत की तलहटी के बीच स्थित एक आश्रम में है। इससे पहले, ईशा योग केंद्र में निर्माण गतिविधियों को लेकर विवाद और नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं।